पब्लिक अपडेट [ काजल तिवारी ] -: भारत का मून मिशन यानी चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजे के करीब चंद्रमा की सतह पर लैंड करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।  चंद्रमा की सतह पर लैंड करते ही भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा और वहीं चंद्रमा पर उतरने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका,रुस और चीन ऐतिहासिक करिश्मे को अंजाम दे चुके हैं।  इसरो के इस महत्वाकांक्षी मिशन से पूरे दुनिया की उम्मीदें जुड़ी हैं।

आपको बता दे की इस चंद्रयान को सुरक्षित लैंडिंग के लिए पूरे देश में पूजा हवन किया जा रहा है ताकि इस बार लोगो की उमीदे नाह टूटे और सफलता पूर्वकचंद्रयान-3  लैंडिंग कर सके|

आखिर ऐसा क्या है चन्द्रमा पर जिसकी तलाश सारे देश कर रहे है……
आपको बता दे की वैज्ञानिकों के अनुसार, कई मिशन का काम चांद के वातावरण के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करना है जिससे कि तेज़ सोलर विंड और लूनर डस्ट से इंसानों और चांद पर भेजे जा रहे उपकरणों को बचाया जा सके। इसके अलावा वैज्ञानिकों को ऐसे equipment टेस्ट करने और रिसर्च करने के मौक़े देगा जिनके ज़रिए चांद पर पानी जैसे संसाधन की व्यवस्था की जा सके। दुनिया भर के देश मून मिशन के जरिए हवा, पानी और वायुमणडल का पता लगाने में जुटे है।

वैज्ञानिक चंद्रमा का अध्ययन इसलिए भी कर रहे हैं  कि कॉस्मिक रेडिएशन और चंद्रमा जैसे वातारण-विहीन ग्रहों पर छोटे-छोटे कणों की बारिश का क्या असर पड़ता है और इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि उन ग्रहों या पिंडों पर जाने के लिए किस तरह की टेक्नॉलजी का प्रयोग किया जा सकता है।

 चंद्रमा पृथ्वी से बना है

नासा की वेबसाइट के अनुसार, चंद्रमा पृथ्वी से बना है और यहां पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास के साक्ष्य मौजूद हैं। हालांकि, पृथ्वी पर ये साक्ष्य भूगर्भिक प्रक्रियाओं की वजह से मिट चुके हैं। अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक, चंद्रमा अनेक रोमांचक इंजीनियरिंग चुनौतियां पेश करता है। यह जोखिमों को कम करने और भविष्य के मिशनों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकियों, उड़ान क्षमताओं, जीवन समर्थन प्रणालियों और शोध तकनीकों का परीक्षण करने के लिए एक उत्कृष्ट जगह है।

चंद्रमा पर क्या खोज की जा सकती है?
रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रमा पर सौर ऊर्जा, ऑक्सीजन और धातुएं प्रचुर मात्रा में संसाधन हैं। चंद्र सतह पर मौजूद ज्ञात तत्वों में अन्य शामिल हैं, हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), सिलिकॉन (Si), आयरन (Fe), मैग्नीशियम (Mg), कैल्शियम (Ca), एल्यूमीनियम (Al), मैंगनीज (एमएन) और टाइटेनियम (टीआई)।

नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने
16-24 जुलाई, 1969 में नील आर्मस्ट्रांग अमेरिका के अपोलो 11 मिशन के दौरान चंद्रमा पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे।  विशेषज्ञों का कहना है कि जब पृथ्वी और ब्रह्मांड के इतिहास का अध्ययन करने की बात आती है तो चंद्रमा एक खजाना है।  अपोलो 11 को सैटर्न V रॉकेट द्वारा फ्लोरिडा के मेरिट द्वीप पर कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। कमांडर नील आर्मस्ट्रांग और चंद्र मॉड्यूल पायलट बज़ एल्ड्रिन ने 20 जुलाई, 1969 को अपोलो लूनर मॉड्यूल ईगल को उतारा और आर्मस्ट्रांग चंद्रमा की सतह पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति बने।

क्या है चंद्रयान-3 ? 
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का फाॅलो अप है। इसमें एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर है। चंद्रयान-3 का मकसद है कि उसका चांद की सतह पर सफलता पूर्वक लैंड होना।

मिशन ने 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा केन्द्र से उड़ान भरी और 41 दिन के बाद आज अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो चांद पर साॅफ्ट लैंडिंग होगी।इससे पहले इस मिशन  को अमेरिका, रूस और चीन अंजाम दे चुका है। अगर आज भारत सफल लैंडिग में कामयाब हो जाता है तो चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जायेगा|

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