Public Updates ( काजल तिवारी )-:  पंजाब और भाजपा की बात करे तो पंजाब में भाजपा ने बहुत कोशिश की और आज भी इस बार यही उम्मीद है की उनकी सरकार यहाँ आएगी भाजपा के प्रमुख सुनील जाखड़ की तरफ से जारी की गई प्रदेश कार्यकारिणी की सूची के बाद पंजाब भाजपा में दरकिनार टकसाली नेताओं ने अपना रोष जाहिर करना शुरू कर दिया है हर बार बीजेपी को विरोध सहन करना पड़ता है पर इस बार मामला टेढ़ा है।

इस बार पार्टी के अंदर नेताओं में खींचतान नहीं है, बल्कि इस बार की खींचतान बाहर से खासकर कांग्रेस से आए लोगों को तरजीह देने के कारण पैदा हो रही है। पार्टी ने इस बार पंजाब में प्रदेश भाजपा पदाधिकारियों की सूची में 17 सिख चेहरों को शामिल किया है। खास बात यह है कि इसमें 14 जाट सिख हैं। पार्टी की सोच संभवतः यह रही होगी कि राज्य में 21 प्रतिशत जाट सिख वोट शेयर को कैश करने के लिए यह कदम उठाया गया होगा।

लेकिन सवाल कई तरह के उठ रहे हैं क्योंकि पार्टी के अंदर जाट सिख चेहरे भी मौजूद थे, लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया। वैसे पार्टी को ग्रामीण इलाकों में सिख वोट बैंक को लुभाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा है क्योंकि भाजपा शहरी पार्टी गिनी जाती है। संभवतः इसीलिए पार्टी ने अब बाहरी दलों से आए सिख चेहरों के दम पर सिख वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है।

सुनील जाखड़ की टीम में बेशक जाट सिख चेहरे भरपूर मात्रा में है, लेकिन पार्टी का शुरू से साथी रहा हिंदू-बनिया वोट लगभग गायब है। नई कार्यकारिणी में बनिया समुदाय कोई खास जगह नहीं दी गई है। पार्टी को पंजाब में बनिया वोट का सदा ही समर्थन रहा है। हर दौर में इस वोट बैंक ने आंखें मूंद कर पार्टी के पक्ष में वोट डाला है। लेकिन एक आध चेहरे को छोड़ कर किसी को भी बनिया समुदाय से टीम में शामिल न किए जाने के कारण आने वाले दिनों में भाजपा को कुछ हद तक नुक्सान झेलना पड़ सकता है।

प्रदेश भाजपा सुनील जाखड़ की टीम में बेशक बनिया समुदाय को कोई खास जगह नहीं मिली है, लेकिन ब्राह्मण-खत्री वोट बैंक को काफी अहमियत दी गई है। प्रदेश कार्यकारिणी तथा कोर कमेटी सहित सभी श्रेणियों में ब्राह्मण खत्री वोट बैंक के संबंधित काफी लोग शामिल किए गए हैं, जिसमें सुभाष शर्मा, अरविंद खन्ना, अनिल सरीन, संजीव खन्ना, दुर्गेश शर्मा, राकेश शर्मा आदि प्रमुख नाम हैं।

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