अमृतसर/चंडीगढ़ (Public Updates TV): पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी के खिलाफ किसानों का विरोध अब उग्र होता जा रहा है। बुधवार को भारी बारिश के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले हजारों किसान ट्रैक्टरों के साथ सड़कों पर उतर आए।
🚜 बारिश में भी ट्रैक्टर मार्च जारी
अमृतसर में सरवन सिंह पंधेर के नेतृत्व में हुई शुरुआत
अमृतसर से ट्रैक्टर मार्च की शुरुआत वरिष्ठ किसान नेता सरवन सिंह पंधेर की अगुवाई में हुई। प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी को “ज़मीन हड़पने की साजिश” करार दिया।
कई अन्य जिलों में भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए। लुधियाना के समराला में गांव बालियो से एसडीएम कार्यालय तक ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। किसानों की मांग है कि यह नीति तुरंत वापस ली जाए।
🗣️ राजेवाल का बड़ा बयान
“116 गांवों को नक्शे से मिटाने की साजिश”
प्रमुख किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने तीखा हमला बोलते हुए कहा:
“सरकार ने बिना सर्वेक्षण, बिना विशेषज्ञ की राय के हज़ारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण नोटिफिकेशन जारी किया है। इससे 20,000 से ज्यादा किसान परिवार प्रभावित होंगे। यह सिर्फ किसानों का ही नहीं, गांवों में रहने वाले मज़दूरों का भी मुद्दा है।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस ज़मीन को कॉर्पोरेट घरानों और बिल्डरों को सौंपने की तैयारी में है, जिससे करीब एक लाख करोड़ रुपये का घोटाला होने की आशंका है।
💰 ‘विकास’ के नाम पर आर्थिक खेल?
एक लाख रुपये सालाना मुआवजा, लेकिन बजट कहां है?
सरकार का दावा है कि प्रभावित किसानों को सालाना ₹1 लाख मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन राजेवाल का कहना है कि सरकार ने इसके लिए कोई स्पष्ट बजट नहीं रखा। अगर 1 लाख रुपये प्रति किसान दिए जाते हैं, तो यह सालाना ₹655 करोड़ का खर्च होगा, जिसका अभी तक कोई वित्तीय रोडमैप सामने नहीं आया है।
📌 क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी विवाद?
लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत सरकार गांवों की ज़मीन को अधिग्रहण कर वहां विकास परियोजनाएं लाना चाहती है। किसानों का आरोप है कि यह नीति उनकी सहमति के बिना लागू की जा रही है और छोटे किसानों और खेत मज़दूरों के लिए यह विनाशकारी साबित होगी।