14 साल की बच्ची से रेप, एसएचओ बोला- मैं चेकअप कर देता हूं कि रेप हुआ या नहीं; मां का बयान… बेटी को लेकर आई तो चूमने लगा था
फिल्लौर/जालंधर (Public Updates TV): जालंधर के थाना फिल्लौर में बड़ा कांड सामने आया है, जहां के SHO भूषण कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया है। आरोप है कि वे नाबालिग रेप पीड़िता की मां से कह रहे थे कि वे खुद चेक करके बता देते हैं कि तेरी बेटी के साथ रेप हुआ है या नहीं।
इतना ही नहीं, एसएचओ की हिम्मत देखिए, उसने रेप पीड़िता की मां को अपने सरकारी आवास पर बुलाने के लिए दबाव बनाया। एसएचओ की बार-बार कॉल आने के बाद पति को पूरी बात बता दी। इसके बाद बुधवार को वे लोग एसएचओ के खिलाफ खुलकर आ गए।
एसएचओ भूषण कुमार और पीड़िता की मां के बीच की बातचीत की रिकार्डिंग तेजी से वायरल हो चुकी है। एसएसपी हरविंदर सिंह विर्क ने कहा कि एसएचओ को लाइन हाजिर करके सारे प्रकरण की जांच एसपी रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। रिकार्डिंग की फॉरेंसिक जांच होगी। इंस्पेक्टर अमन सैनी को नया एसएचओ लगाया गया है।
मेरी पहली शादी से एक बेटा व एक बेटी तो दूसरी शादी से एक बच्चा है। मैं परिवार संग इलाके में रहती हूं। 23 अगस्त की रात मैं, पति और बेटा छत पर सो गए थे। नीचे दोनों बेटियां सो रही थीं।
इस दौरान उनके घर आए 19 साल के पड़ोसी ने 14 साल की बेटी से रेप किया। बेटी को लेकर अस्पताल गए तो डॉक्टर बोले- पुलिस रिपोर्ट के बाद मेडिकल जांच होगी। थाने आ गए। दूसरे दिन खुद एसएचओ भूषण कुमार मिले।
बोले- मुझे नहीं लगता कि तेरी बेटी संग रेप हुआ है। मैं आरोपी को बुलाकर तुम से थप्पड़ लगवा देता हूं। गुस्सा शांत कर लेना। मैंने कहा- मेरी बेटी की जिंदगी खराब हो गई। आप एक्शन लें। एसएचओ मानने को तैयार नहीं थे कि रेप हुआ है।
हम कहते रहे कि मेडिकल करवा लो। धीरे-धीरे हफ्ता और फिर महीना निकल गया। में थाने चक्कर लगा-लगाकर तंग आ चुकी थी। एक दिन एसएचओ से फिर मिली। वे भड़क गए।
बेटी को चूमने लगे। मैंने रोक दिया। फिर रेप के सवाल पर बोले हम थाने में रेप की जांच कर लेते हैं। मुझे तरीका बताया, मुझे सुनने में गुस्सा आ रहा था, लेकिन एसएचओ बिना रुके बोले जा रहे थे। फिर बोले अगर तुम चेक नहीं कर सकती तो मैं खुद चेक करके बता देता हूं कि रेप हुआ है या नहीं।
मैंने हाथ जोड़े कि आप एसएचओ हैं, मैं गरीब हूं और हमारी इज्जत का ख्याल करें। मैं तो आपसे इतना चाहती हूं कि बेटी को इंसाफ मिले। अंत में 5 अक्टूबर को एसएचओ ने खुद बयान लिखवा दिए। मुझे कहा तुम साइन कर दो।
इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया, लेकिन बेटी का मेडिकल नहीं करवाया। मैंने आपबीती किसी को नहीं बताई, क्योंकि मामला दर्ज हो चुका था। मैं खुद हैरान हो गई कि एसएचओ ने कॉल करनी शुरू कर दी। मुझे अकेले कचहरी के पास सरकारी घर में बुला रहे थे।
पीड़ित बच्ची की मां से बोला- पति चला जाए तो मेरे कमरे में आ जाना।