Punjab News: पी.जी.आई. में हॉस्पिटल अटेंडेंट और सफाईकर्मियों की हड़ताल जारी है। हड़ताल को देखते हुए पी.जी.आई. ने वीरवार देर रात ही इलैक्टिव सेवाएं बंद करने का फैसला लिया था। शुक्रवार को ओ.पी.डी. सर्विस पहले की तरह जारी रही। हांलाकि त्योहार होने की वजह से 197 मरीज ही आए। वहीं रजिस्ट्रेशन की गिनती 7312 रही। पी.जी.आई. प्रशासन का कहना है कि हड़ताल जारी रहती है तो मौजूदा स्टाफ के साथ सेवाएं चलाना मुश्किल हो जाएगा। ओ.पी.डी. में सिर्फ फॉलोऑप मरीजों को ही देखने का फैसला लिया जा सकता है। इसलिए जी.एम.एस.एच. और जी.एम.सी.एच. को तैयार रहने के लिए कहा गया है तो वहां मरीजों को रैफर न किया जाए।

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स्थिती को संभालने के लिए स्टाफ के काम करने के घंटे बढ़ा दिए हैं। स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए गैर सरकारी संगठनों, सारथी प्रोजेक्ट के एन.एस.एस. विद्यार्थियों से मदद ली जा रही है। वहीं डॉक्टरों को मरीजों को खुद बुलाना पड़ रहा है। कई विभागों के मरीजों का नंबर बिना देरी से आया। सफाई व्यवस्था पूरी तरह खराब हो चुकी है। जगह-जगह गंदगी के ढेर नजर आ रहे हैं। वार्डों की हालत खराब हो रही है। यूनियन के प्रधान राजेश चौहान ने कहा कि 2018 से एरियर नहीं दिया गया। 10 अक्टूबर को मीटिंग में तनख्वाह बढ़ाने के बारे में भी कहा गया था।

हड़ताल को 2 दिन बीत चुके हैं पर प्रशासन द्वारा मांगों को लेकर कार्रवाई नहीं की जा रही। दूसरी ओर ठेका वर्कर युनियन के जरनल सचिव ने बताया कि एम.एस. के साथ मीटिंग का कोई नतीजा नहीं निकला। इसी तरह सेक्टर-9 में हुई मीटिंग भी बेनतीजा रही। डॉ. विपन कौशल, मेडिकल सुपरीडेंट, पी.जी.आई. का कहना है कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन आउटसोर्स कर्मचारी कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। बकाया के मुद्दे पर हड़ताल की जाती है पर बकाया सिर्फ अटेंडेंट का है। इसलिए जून में स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र भेजा गया था। जहां तक ​​पक्के कर्मचारियों के बराबर वेतन की बात है तो यह स्वास्थ्य और श्रम मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में है।

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