पब्लिक अपडेट [ काजल तिवारी ] -: सरकार ने पंजाब के परिवहन विभाग को पत्र जारी करके टाइम मिस कर रहे बसों और टायरों के अभाव में जाम खड़ी बसों के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करके रिपोर्ट देने को कहा है। सूत्र बताते है कि सरकार उन अधिकारियों के विरुद्ध कारवाई करने की तैयारी में है , जिनकी लापरवाही से परिवहन विभाग को भारी घाटा हुआ है। इसके साथ ही परिवहन में हड़कंप जैसी स्थिति बन गई है। अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को करोड़ों का घाटा हुआ है।

पंजाब सरकार ने माँगा रोडवेज अधिकारियो से जवाब की बस बस स्टैंड में क्यो खड़ी रहती है

सरकारी बसों का अपने रूट पर जाने की बजाय अड्डों में ही खड़े रहना आम बात होती जा रही है। पंजाब रोडवेज के जालंधर-1 डिपो में पासिंग न होने और टायर न होने के चलते 21 बसें एक से तीन माह तक खड़ी रही। अमृतसर में 51 बसें ड्राईवर-कंडक्टर की कमी और टायर के अभाव के चलते एक माह तक खड़ी रही। फिरोज़पुर की 30 बसें, जालंधर -2 की 35 बसें स्टाफ के अभाव, स्पेयर पार्ट बटाला डिपो की एक बस तो रेडियेटर खराब होने के चलते तीन माह तक खड़ी रही। पासिंग न होने से बसों का खड़े होना पहली बार हुआ है। मंत्री की डांट के बाद पासिंग की राशि अदा की गई और फिर बसें चली। बसों के खड़े रहने से परिवहन विभाग को अब मुनाफे की जगह नुक्सान हो रहा है।

गर्मी के मौसम में एयर कंडीशनर बसों की मांग ज्यादा रहती है , परन्तु उनकी स्थिति भी ऐसी ही है टायरो के अभाव में जालंधर डिपो -1 में तीन , श्री मुकतसर साहिब में दो , होशियारपुर , शहीद भगत सिंह नगर इत्यादि में 20 वोल्वों बसें खड़ी है .जिनका टैक्स वॉल्वो प्रति किलोमीटर 14.50 रूपए और साधारण बस का टैक्स अढाई रूपए प्रति किलोमीटर अदा करना ही पड़ता है , चाहे बस चले अथवा न . टायर को रीसोल करने की स्थिति में पंजाब रोडवेज नहीं है क्योंकि रीसोल के लिए भी पुराने टायर का 70 प्रतिशत होना आवश्यक है , परन्तु ऐसे टायरो का भी अभाव है .

हालाँकि पंजाब सरकार द्वारा ड्राईवरों की कुछ भर्ती अभी की गई है , जिससे स्टाफ के अभाव में खड़ी बसों को चलाया गया है , परन्तु फिर भी 300 से अधिक बसें अभी भी खड़ी है। सरकार ने इन बातों को गंभीरता से लिया है। विभाग को पत्र भेज कर पूछा गया है कि किन अधिकारियों के कारण टायर नहीं लिए जा सके और बसें क्यों खड़ी रही। यहाँ ये भी गौरतलब है कि परिवहन विभाग द्वारा बसों का पासिंग टैक्स समय पर अदा न किये जाने से सरकारी बसों को भी 69 लाख रुपए का जुर्माना लगा है।

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