पब्लिक अपडेट [ काजल तिवारी ] – : जालंधर से बड़ी ख़बर दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के तहत करतारपुर के पास बसरामपुर गांव में सड़क पर फ्लाईओवर बनाने का काम चल रहा है। शनिवार को यहां पिलर बनाने के लिए R-1500 मशीन से जमीन में बोर किया जा रहा था कि अचानक मशीन खराब हो गई। इस पर मशीन ठीक करने के लिए इंजीनियर पवन और सुरेश को दिल्ली से बुलाया गया। शनिवार शाम 7 बजे दोनों ऑक्सीजन सिलेंडर और दूसरे जरूरी उपकरणों के साथ बोरवेल में उतरे थे। उसी समय अचानक मिट्‌टी ढह गई और सुरेश बोरवेल में फंस गया।

पवन ने उसे बचाने की कोशिश की तो सेफ्टी बेल्ट टूट गई। इस पर पवन तो ऊपर आ गया लेकिन सुरेश अंदर ही फंस गया। इसके बाद बोरवेल में दोबारा मिट्‌टी खिसक गई। बोरवेल में मैकेनिक के फंस जाने की सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कराया।

  ADC जसवीर सिंह ने बताया कि 45 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरेश के शव को बाहर निकाल लिया गया है। घटना स्थल के पास छप्पड़ (तालाब) के कारण 50 फुट की खुदाई के बाद मिट्‌टी काफी नरम थी। वह बार-बार खिसक रही थी, जिसके चलते रेस्क्यू में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। रविवार रात यहां मिट्टी दोबारा खिसक गई थी। उसके बाद सोमवार सुबह भी दो बार मिट्टी खिसकी थी।

इसलिए बचाव के कार्य में टीम को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और इतना टाइम भी लगा। घटनास्थल पर 5 JCB मशीनें लगातार मिट्टी बाहर निकाली जा रही थी। यहां मिट्टी के 150 टिप्पर निकाले गए हैं। लेकिन इतना कुछ तामझाम करने के बावजूद भी सुरेश की जान नहीं बच पाई है। सुरेश जिस आक्सीजन सिलेंडर को लेकर बोर में उतरा था उसकी लाइफ भी 18 घंटे ही थी।

रेस्क्यू वाली जगह के बगल में पुराना तालाब होने के कारण NDRF की टीम को बार-बार अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ी। पहले रविवार देर रात तक NDRF की टीम के सुरेश के नजदीक पहुंच जाने की खबर आई थी। उसके बाद मौके पर एंबुलेंस वगैरह भी तैयार कर ली गई थी, लेकिन टीम सुरेश तक पहुंच नहीं पाई। उस समय मशीन खराब हो जाने के कारण ऑपरेशन धीमा पड़ गया।

सुरेश के छोटे भाई सत्यवान ने बताया कि उन्हें रविवार सुबह घटना की सूचना मिली जिसके बाद वे तुरंत जालंधर पहुंच गए। एक्सप्रेस-वे का काम कर रही कंपनी अपनी तरफ से पूरे प्रयास कर रही है। सत्यवान ने बताया कि प्रशासन और एक्सप्रेस-वे का काम कर रही कंपनी के अधिकारी सुरेश को टेक्निकल एक्सपर्ट बता रहे हैं जबकि वह तो गांव में किसानी करता था। वह सिर्फ काम करने जालंधर आया था। उसे मशीनों की रिपेयरिंग या दूसरी कोई टेक्निकल जानकारी नहीं थी

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