पब्लिक अपडेट [ काजल तिवारी ] -: पंजाब की जेलों को सुधार घर के नाम को पुख्ता करने में अड़चने पैदा करने वाले पर्दे के पीछे बैठे शरारती तत्व सत्ता बदलने के बाद भी नहीं सुधरे। जिनकी पकड़ इतनी अंदर तक पहुंच गई है कि नशे के सौदागरों ने जेल की सुरक्षा को पुख्ता करने वाली जेल गार्द के साथ ही कथित गांठ बांध ली है। इसके चलते ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो न सिर्फ जेल प्रशासन के उच्चाधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं, बल्कि यह समस्या आने वाले समय में विपक्षी पार्टियों के लिए चुनावी मुद्दा भी बन सकती है।
ज्ञात रहे कि पंजाब सरकार हर माह करोड़ों रुपए जेलों की सुरक्षा के नाम पर खर्च कर रही है, लेकिन फिर भी नशे के सौदागर कथित सेंध लगाकर इन पर काली छाया बने हुए हैं। हाल ही में जेल में डयूटी पर तैनात एक ए.एस.आई. से लुधियाना में मिले नशे ने इस बात के संकेत दिए है कि जेल के खुफिया तंत्र से नशों के सौदागर दो कदम आगे हैं। इसके चलते अब चर्चा उठी है कि पंजाब सरकार को अपने सुरक्षा अधिकारियों, कर्मचारियों की बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग करनी चाहिए और बदलियां भी करनी चाहिए, ताकि काम में पारदर्शिता आ सके।
जब बाढ़ ही खेत को खाये तो कौन बचाए, जैसी कहावत इन दिनों जेलों की सुरक्षा के मामले पर फिट बैठ रही हैं। पंजाब सरकार खासकर जेल मंत्रालय को जेलों की सुरक्षा को खास बनाने के लिए अब तनदेही से काम करना होगा। क्योंकि विपक्षी तो यहां तक कहते सुने गए हैं कि अन्यथा पंजाब में जो जेलों की सुरक्षा के साथ चल रहा है, उसे बाद में चुनावी मुद्दा बनने से कोई रोक नहीं पायेगा। क्योंकि पहले ही शहरों गांवों में हो रही हिंसाओं की घटनाओं ने पंजाब सरकार की पेशानी पर पसीना लाया हुआ है।