सर्वदलीय बैठक में 10 पार्टियों का समर्थन, AAP नदारद
चंडीगढ़ (Public Updates TV): पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में सर्वदलीय बैठक कर विरोध तेज कर दिया। मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह नीति वापस नहीं ली तो दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए ऐतिहासिक आंदोलन की तर्ज पर पंजाब में भी सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
बैठक में कांग्रेस, भाजपा, बसपा समेत कुल 10 राजनीतिक दलों ने किसान मोर्चा को समर्थन दिया। लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) का कोई भी प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुआ। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को बैठक में आने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन कोई प्रतिनिधि नहीं आया।
भाजपा ने बदला रुख, अब किसानों के साथ
गौरतलब है कि 2020 के कृषि कानूनों के दौरान किसान आंदोलन का मुख्य निशाना भाजपा थी, लेकिन इस बार भाजपा के प्रतिनिधि डॉ. सुभाष शर्मा और केवल ढिल्लों बैठक में पहुंचे। उन्होंने कहा कि पार्टी लैंड पूलिंग पॉलिसी के खिलाफ है और किसानों से संवाद अभियान चला रही है।
कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री रणदीप नाभा और हैप्पी खेड़ा भी बैठक में शामिल हुए। किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने ऐलान किया कि सरकार द्वारा जहां भी जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है, वहां 30 जुलाई को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।
बैठक में पारित प्रमुख प्रस्ताव
पंजाब सरकार लैंड पूलिंग पॉलिसी तुरंत वापस ले।
पंजाब विधानसभा पानी समझौते को रद्द करके केंद्र को भेजे।
धारा 78, 79 और 80 को खत्म किया जाए।
राज्य में नई कृषि नीति जल्द लागू की जाए।
अमेरिका के साथ कृषि से जुड़े फ्री ट्रेड समझौते पर रोक लगे।
पानी समझौते पर गरमा-गरमी
बैठक में पानी समझौते को लेकर भाजपा और बसपा के प्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस भी हुई। बसपा प्रधान अवतार सिंह करीमपुरी ने धारा 78, 79 और 80 को तुरंत रद्द करने की मांग की, जबकि भाजपा प्रतिनिधि सुभाष शर्मा ने कहा कि विधानसभा प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे।
बैठक का संचालन बूटा सिंह बुर्जगिल, बलबीर सिंह राजेवाल, हरिंदर सिंह लक्खोवाल, रमिंदर सिंह और डॉ. दर्शन पाल ने किया। कई अन्य प्रमुख किसान नेता भी इस मौके पर मौजूद रहे।