दिल्ली Public Updates tv New section of crime: 1 जुलाई से 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। अब आई.पी.सी. की जगह भारतीय न्याय संहिता, सी.आर.पी.सी. की जगह भारतीय सिविल डिफैंस कोड और भारतीय ऐवीडैंस एक्ट लागू हो गया है। पिछले साल ही यह तीनों कानून संसद में बने थे। अब नए कानूनों के साथ एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित हो गई है।
बता दें कि ऐसे कई अपराध थे जिन्हें आई.पी.सी. में परिभाषित नहीं किया गया था। इसमें यह नहीं बताया गया था कि कौन से अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएंगे। नए कानून में भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले को आंतकवाद की श्रेणी में रखा गया है। इसका वर्णन भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में किया गया है। इसमें भारतीय करंसी की तस्करी भी शामिल होगी। आतंकवादी गतिविधियों के लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा भी हो सकती है।
कानून के मुताबिक आतंकी साजिश रचने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा आतंकी संगठन में शामिल होने पर उम्रकैद और जुर्माने का भी प्रावधान है। आतंकवादियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता में देशद्रोह को खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कार्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है। इसके लिए बी.एन.एस. की धारा 152 लगाई जाएगी। आईपीसी में मॉब लिंचिंग का कोई जिक्र नहीं था, अब इस अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है। इसे बी.एन.एस. की धारा 103 (2) में शामिल किया गया है।