अटारी/अमृतसर (Public Updates TV): श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व से ठीक पहले श्रद्धालुओं की आस्था पर पाकिस्तान की सियासत भारी पड़ गई। मंगलवार को अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान रवाना हुए जत्थे में शामिल 14 हिंदू श्रद्धालुओं को वाघा से वापस लौटा दिया गया, जबकि सिख श्रद्धालुओं को आगे जाने दिया गया। पाकिस्तानी इमिग्रेशन अधिकारियों ने साफ कहा—“यह जत्था सिख श्रद्धालुओं का है, हिंदू नहीं जा सकते।”

वापस लौटाए गए श्रद्धालुओं में लखनऊ और दिल्ली के दो जत्थे शामिल थे। दिल्ली जत्थे के मुखी अमर चंद ने बताया कि उन्हें बाकायदा वीजा जारी किया गया था, अटारी पहुंचने पर सभी फॉर्मेलिटीज पूरी कर ली गईं।
वाघा पहुंचने पर पाक अधिकारियों ने फूल-मालाओं से स्वागत किया और 13-13 हजार रुपए के पैकेज शुल्क भी ले लिए। लेकिन शाम तक कहा गया—“आप हिंदू हैं, इसलिए यात्रा की अनुमति नहीं।” भारत के जवानों ने पाक अफसरों से इस पर बहस भी की, लेकिन श्रद्धालुओं को निराश होकर लौटना पड़ा।
इस बीच, 1932 सिख श्रद्धालु ही पाकिस्तान के गुरुधामों तक पहुंच पाए, जबकि करीब 468 श्रद्धालुओं को दिल्ली से मंजूरी न मिलने के कारण अटारी से ही लौटना पड़ा। निराश संगत ने बॉर्डर पर 4 घंटे तक धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया।
साईं मियां मीर फाउंडेशन के प्रमुख परमजीत सिंह ने बताया कि गृह मंत्रालय से अंतिम समय तक अनुमति मिलने की उम्मीद रही, लेकिन शाम 5 बजे यह साफ हो गया कि मंजूरी नहीं मिली।
इसी बीच, फतेहाबाद जिले के छह श्रद्धालुओं के वीजा भी पाकिस्तान ने रद्द कर दिए। इनमें मनजीत सिंह रतिया, कुलदीप सिंह मेहमड़ा, चरणजीत सिंह बोड़ा सहित तीन अन्य शामिल हैं। पाक अधिकारियों ने कारण बताया कि उनके दस्तावेज अधूरे पाए गए।
यह पूरा घटनाक्रम एक बार फिर दिखाता है कि आस्था की राह में अब सीमाओं की राजनीति हावी हो गई है।

