फैसला उन मामलों के लिए नजीर, जहां आपसी समझौते के बाद कानून का गलत इस्तेमाल कर कराए जाते हैं झूठे मुकदमे
पति-पत्नी के बीच सुलह हो चुकी थी, फिर भी दर्ज करवाई गई थी एफआईआर
अमृतसर/चंडीगढ़ (Public Updates TV): पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में दहेज उत्पीड़न के तहत दर्ज एक एफआईआर को रद्द कर दिया है। यह एफआईआर एक महिला के पिता ने उसके पूर्व पति के खिलाफ दर्ज करवाई थी, जबकि तलाक और आपसी समझौता पहले ही हो चुका था। कोर्ट ने इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया।
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब पति-पत्नी के बीच का विवाद आपसी सहमति से सुलझ गया था और तलाक भी हो चुका था, तो अब आपराधिक कार्यवाही जारी रखना न्यायोचित नहीं है।
यह मामला दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 482 के तहत याचिका के जरिए अदालत के सामने आया था। इसमें पति ने आईपीसी की धारा 498-A (दहेज उत्पीड़न) और 406 (विश्वासघात) के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अपील की थी।
2015 में शादी, 2019 में तलाक और 2020 में एफआईआर
पति-पत्नी का विवाह 22 दिसंबर 2015 को हुआ था। फरवरी 2016 में अमेरिका में तलाक की अर्जी दाखिल की गई। अगस्त 2019 में दोनों के बीच आपसी सहमति से तलाक हो गया। तलाक में बच्चों, गहनों, संपत्ति और वित्तीय मामलों को लेकर विस्तृत समझौता हुआ था। बावजूद इसके, महिला के पिता ने 14 फरवरी 2020 को भारत में एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें दहेज की मांग और स्त्रीधन की वापसी के आरोप लगाए गए थे।
तलाक और समझौते की जानकारी छिपाई गई थी
कोर्ट ने पाया कि एफआईआर में न तो तलाक का जिक्र किया गया था और न ही समझौते का। इससे यह साबित होता है कि यह मुकदमा दुर्भावनापूर्ण था और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया।
ससुराल वालों को भी घसीटना अनुचित: कोर्ट
जस्टिस पुरी ने यह भी कहा कि यह उन आम मामलों में से एक है, जहां पति के साथ-साथ उसके माता-पिता और रिश्तेदारों को भी बिना ठोस आधार के घसीटा जाता है, जो कि पूरी तरह अनुचित है।
अमेरिका में रह रहे हैं सभी पक्ष, वहीं हुआ था समझौता
अदालत ने यह भी बताया कि पति, पत्नी और उनके माता-पिता सभी अमेरिका के नागरिक हैं और वहीं रह रहे हैं। समझौता भी अमेरिका में हुआ था, जो तलाक की डिक्री का हिस्सा है।
नतीजा: एफआईआर रद्द, कानूनी कार्रवाई समाप्त
सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि विवाद पूरी तरह समाप्त हो चुका है और ऐसे में अब एफआईआर का कोई औचित्य नहीं है। अंततः एफआईआर को रद्द कर दिया गया।