हाईकोर्ट ने पारिवारिक कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा
मुंबई (Public Updates TV): पति से संबंध बनाने से इन्कार करना और उस पर विवाहेतर संबंध का संदेह करना क्रूरता है और इसलिए यह तलाक का आधार है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यह फैसला एक पारिवारिक अदालत के तलाक के आदेश को चुनौती देने वाली महिला को राहत देने से इन्कार करते हुए सुनाया।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि महिला के व्यवहार को उसके पति के प्रति क्रूरता माना जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने महिला की पुरुष की तलाक की याचिका को स्वीकार करने वाले पारिवारिक अदालत के आदेश को खारिज करने की उसकी याचिका को अस्वीकार कर दिया।
पति को उसके दोस्तों के सामने अपमानित करना भी है क्रूरता
महिला के पति ने कई आधारों पर क्रूरता का दावा किया। इनमें शारीरिक अंतरंगता से इन्कार करना, विवाहेतर संबंध होने का संदेह करना और परिवार, दोस्तों और कर्मचारियों के सामने उसे शर्मिंदा करके मानसिक पीड़ा पहुंचाना शामिल है।
इस पर उच्च न्यायालय ने कहा, अपीलकर्ता महिला का पुरुष के कर्मचारियों के साथ व्यवहार निश्चित रूप से उसे दर्द पहुंचाएगा। इसी तरह, पुरुष को उसके दोस्तों के सामने अपमानित करना भी उसके प्रति क्रूरता है।